पोप फ्राँसिस, जिनका जन्म 17 दिसंबर 1936 को अर्जेंटीना के ब्यूनस आयर्स में हुआ था, रोमन कैथोलिक चर्च के 266वें पोप हैं। उनका असली नाम ‘खोर्खे मारियो बेर्गोलियो’ है। वर्ष 2013 में पोप चुने जाने के बाद, उन्होंने ‘फ्राँसिस’ नाम अपनाया, जो सेंट फ्राँसिस ऑफ असीसी से प्रेरित है, जो सादगी और गरीबों के प्रति करुणा के लिए प्रसिद्ध थे।hindikhoji.com+2Moneycontrol Hindi+2Webdunia+2Webdunia+1Moneycontrol Hindi+1
🌱 प्रारंभिक जीवन और शिक्षा
पोप फ्राँसिस एक इतालवी प्रवासी परिवार में पले-बढ़े। उन्होंने रसायन शास्त्र में डिप्लोमा प्राप्त किया और कुछ समय तक एक प्रयोगशाला में कार्य किया। युवावस्था में ही उन्होंने येसु समाज (सोसाइटी ऑफ जीसस) में प्रवेश किया और 1969 में पुरोहित बनाए गए। 1998 में वे ब्यूनस आयर्स के आर्कबिशप बने और 2001 में कार्डिनल नियुक्त किए गए।
🕊️ पोप फ्राँसिस की शिक्षाएँ और दृष्टिकोण
1. प्रेम और करुणा का संदेश
पोप फ्राँसिस ने हमेशा प्रेम और करुणा को अपने संदेश का केंद्र बिंदु बनाया है। उन्होंने कहा, “एक पुरोहित का पहला कर्तव्य है प्रेम को जीवित रखना।” Vatican News
2. गरीबों और वंचितों के प्रति संवेदनशीलता
उन्होंने चर्च को गरीबों के साथ खड़ा होने का आह्वान किया है। उनका मानना है कि ईश्वर का राज्य इसी धरती पर शुरू होता है और यह येसु के द्वारा आ चुका है। hindikhoji.comVatican News
3. समकालीन मुद्दों पर विचार
पोप फ्राँसिस ने समकालीन मुद्दों पर भी अपने विचार व्यक्त किए हैं। उन्होंने शराब को “ईश्वर की देन” बताया है और इसे आनंद का असली स्रोत कहा है। Vatican News+10Vatican News+10ऑपइंडिया+10ऑपइंडिया
🌍 वैश्विक प्रभाव और मान्यता
पोप फ्राँसिस को उनके नेतृत्व और दृष्टिकोण के लिए वैश्विक स्तर पर सराहा गया है। वे पहले लैटिन अमेरिकी और पहले जेसुइट पोप हैं, जो यूरोप के बाहर से चुने गए हैं। Vatican News+2Moneycontrol Hindi+2Webdunia+2
🏥 स्वास्थ्य स्थिति
हाल ही में, पोप फ्राँसिस ब्रोंकाइटिस और डबल निमोनिया से जूझ रहे हैं। उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था और ऑक्सीजन सपोर्ट पर रखा गया है। हालांकि उनकी हालत में सुधार हो रहा है, लेकिन वे अभी भी पूरी तरह से खतरे से बाहर नहीं हैं।